शिवशक्ति ज्योतिष एवं पराविज्ञान शोध सेवा केंद्र
अनुष्ठान
वैदिक और तंत्रोक्त अनुष्ठान
पूजा, अर्चना, मंत्र जाप के अतिरिक्त वैदिक परम्परा में विभिन्न प्रकार के देवी देवताओं और शक्तियों की विभिन्न वैदिक और तंत्रोक्त विधि के अनुसार अनुष्ठान करने के भी निर्देश दिए गये हैं. इन अनुष्ठानों के द्वारा इच्छित शक्तियों की कृपा ज्यादा तीव्रता से पाई जा सकती है. इस हेतु विभिन्न शुभ मुहूर्तों पर जातक द्वारा स्वयं या अपने ज्योतिषियों के सुझाव पर योग्य आचार्यों से विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करवाते हैं जिनसे उनकी जन्मकुंडली अथवा गोचर के दोषों अथवा अन्य किसी प्रकार की बाधा का निवारण होता है एवं शुभ फलों की प्राप्ति तथा उन्हें कुछ विशिष्ट प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
मुहूर्त के अनुसार ये अनुष्ठान किसी भी मंदिर, विशिष्ट धर्म क्षेत्र जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, गया, वाराणसी, उज्जैन, नैमिषशारण्य अथवा किसी पवित्र नदी के तट पर किये जा सकते है. ऐसे विशिष्ट धार्मिक स्थानों पर अनुष्ठान को करने से सफलता का प्रतिशत और इसके फल सैकड़ों गुना अधिक हो जाते हैं।
किसी भी प्रकार की अनुष्ठान को विधिवत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है उस अनुष्ठान के लिए निश्चित किये गए मंत्र का एक निश्चित संख्या में जाप करना तथा यह संख्या अधिकतर अनुष्ठानों के लिए 1,25,000 मंत्र होती है।
जातक यदि स्वयं चाहे तो ये अनुष्ठान कर सकता है. किन्तु सामान्यतया दैनिक क्रिया कलापों में व्यस्त रहने और दैनिक जीवन में निर्वाह हेतु किये जाने वाले कर्मो के दोषों के कारण उसकी सफलता दुष्कर हो जाती है.
इसके अलावा इस स्तिथि में रुकावटें एवं परेशानी भी ज्यादा आती हैं. इसलिए जातक के हितार्थ ये परामर्श दिया जाता है की अनुष्ठानों को करने के अभ्यस्त और पूर्ण रूप से साधक जीवन जीने वाले आचार्यों के द्वारा अगर अनुष्ठान किया जाये तो ज्यादा लाभ उठाया जा सकता है. साथ ही उस समयावधि में मात्र कुछ नियमों का पालन करते हुए जातक अपने दैनिक जीवन को जी सकता है तथा अपने व्यवसाय आदि की देखभाल कर सकता है.
विशेष:
विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय मान्यताओं में अंतर होने के कारण स्थानीय मान्यताओं के अनुरूप इस अनुष्ठान को शुरू करने के दिन में, पूजा करने वालों की संख्या में अथवा प्रतिदिन कितने घंटे मंत्र का जाप किया जाएगा, इन नियमों में अंतर आ सकता है.
शिव शक्ति ज्योतिष एवं पराविज्ञान शोध सेवा केंद्र द्वारा इच्छूक अथवा पीड़ित यजमानों हेतु योग्य एवं अभ्यस्त आचार्यों द्वारा सभी प्रकार के वैदिक एवं तंत्रोक्त अनुष्ठान करवाने की व्यवस्था की जाती है.
विशेष उपहार : सभी प्रकार के अनुष्ठान करवाने पर सम्बंधित शक्ति युक्त यंत्र का निर्माण, प्राण-प्रतिष्ठा एवं जातक एवं उसके परिवार के नाम पर अभिमंत्रित करके भेजा जाता है ताकि जातक व् उसका परिवार दीर्घ काल तक अनुष्ठान के लाभ उठा सके.
अनुष्ठान सूची :
1. ग्रह पीड़ा निवारण एवं पुष्टिकरण अनुष्ठान
सूर्य अनुष्ठान
चन्द्र अनुष्ठान
मंगल अनुष्ठान
बुध अनुष्ठान
गुरु अनुष्ठान
शुक्र अनुष्ठान
शनि अनुष्ठान
राहू अनुष्ठान
केतु अनुष्ठान
कालसर्प दोष निवारण अनुष्ठान
मांगलिक दोष निवारण अनुष्ठान
गंडमूल दोष निवारण अनुष्ठान
नाड़ी दोष निवारण अनुष्ठान
2. वैदिक एवं तंत्रोक अनुष्ठान
महा मृत्युंजय अनुष्ठान
रूद्राभिषेक अनुष्ठान
गायत्री अनुष्ठान
दुर्गा अनुष्ठान
महालक्ष्मी अनुष्ठान
सरस्वती अनुष्ठान
शिव अनुष्ठान
श्री विष्णु नारायण अनुष्ठान
श्री लक्ष्मी नारायण अनुष्ठान
श्री संतान गोपाल अनुष्ठान
श्री गणेश अनुष्ठान
श्री हनुमान अनुष्ठान
श्री बगलामुखी अनुष्ठान
श्री बटुक भैरव अनुष्ठान
श्री काल भैरव अनुष्ठान
3. श्री पितृ शांति अनुष्ठान
4. नक्षत्र शांति अनुष्ठान:
अश्विनी नक्षत्र अनुष्ठान
भरणी नक्षत्र अनुष्ठान
कृत्तिका नक्षत्र अनुष्ठान
रोहिणी नक्षत्र अनुष्ठान
मॄगशिरानक्षत्र अनुष्ठान
आद्रा नक्षत्र अनुष्ठान
पुनर्वसु नक्षत्र अनुष्ठान
पुष्य नक्षत्र अनुष्ठान
अश्लेशा नक्षत्र अनुष्ठान
मघा नक्षत्र अनुष्ठान
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र अनुष्ठान
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र अनुष्ठान
हस्त नक्षत्र अनुष्ठान
चित्रा नक्षत्र अनुष्ठान
स्वाति नक्षत्र अनुष्ठान
विशाखा नक्षत्र अनुष्ठान
अनुराधा नक्षत्र अनुष्ठान
ज्येष्ठा नक्षत्र अनुष्ठान
मूल नक्षत्र अनुष्ठान
पूर्वाषाढा नक्षत्र अनुष्ठान
उत्तराषाढा नक्षत्र अनुष्ठान
श्रवणनक्षत्र अनुष्ठान
धनिष्ठा नक्षत्र अनुष्ठान
शतभिषा नक्षत्र अनुष्ठान
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र अनुष्ठान
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र अनुष्ठान
रेवती नक्षत्र अनुष्ठान