• mainslide1
  • mainslide2
  • mainslide3
  • mainslide4
  • mainslide5

नवपाषाणम

 नवपाषाणम

navpashan gutika 10gm s

नवपाषाण: सिद्ध परंपरा का एक अद्भुत औषधीय पदार्थ 

5000 वर्ष से भी पूर्व "सिद्ध प्रणाली" के "संत बोगर" द्वारा बनाया गया नवपाषाण एक अत्यंत अद्भुत एवं दुर्लभ पदार्थ है। यह अष्ट संस्कारित पारद और प्रकृति में पाए जाने वाले नौ विशेष तत्वों के एक अत्यंत विशेष गोपनीय संयोजन के द्वारा बनाया जाता है। प्राचीन काल से ही नवपाषाण सिद्ध प्रणाली में वर्णित दिव्य औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। नवपाषाण का लाभ सहज ही जनमानस को मिले इसलिए "संत बोगर" ने भगवान मुरूगन की एक मूर्ति बनाई और उसका मंदिर तमिलनाडु के पलानी क्षेत्र में स्थापित कर दिया।..

प्राचीन काल से ही उस मूर्ति का जलाभिषेक करके उस जल को जनमानस में प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता था। जब लोग इसका सेवन करते थे , तो नवपाषाण के संपर्क में आने के कारण उस जल में जो औषधीय गुण उत्पन्न होते थे उसके कारण लोगों की विभिन्न प्रकार की बीमारियां ठीक हुआ करती थी। शरीर के वात पित्त कफ में संतुलन उत्पन्न होने के कारण लोगों की जीवनशक्ति अत्यंत शक्तिशाली हो जाती थी।


ब्रिटिश काल में अंग्रेजों को इसका पता लगा। तब उन्होंने इसे आजमाया और इसे चोरी से अपने देश में ले जाने की कोशिश की गई। किंतु सिद्ध प्रणाली के अलावा इसका अत्यंत धार्मिक महत्व होने के कारण स्थानीय जन समुदाय के विरोध के कारण वे इसे नहीं ले जा पाए।

नवपाषाण का निर्माण करने की विधि अत्यंत गोपनीय रही है और मात्र गुरु शिष्य प्रणाली के द्वारा ही सिद्ध परंपरा से जुड़े लोगों में इसके वास्तविक विधि ज्ञात है।
1. नवपाषाण गुटिका को यदि जल में रखा जाए और कुछ समय बाद उस जल को पिया जाए तो गुटिका के प्रभाव से उस जल में ऐसे औषधीय गुण उत्पन्न हो जाते हैं जिससे व्यक्ति के शरीर में वात पित्त कफ का संतुलन ठीक हो जाता है।


2. व्यक्ति चाहे कितने भी समय से पाचन संबंधी समस्याओं से ग्रसित हो सबसे पहले उसकी पाचन शक्ति प्रणाली सुधर जाती है इस प्रभाव को मात्र एक से 2 हफ्ते में ही कोई भी देख सकता है।
3. इस जल के लगातार सेवन से धीरे-धीरे शरीर के सभी विषैले तत्व बाहर निकल कर शरीर में एंटी एजिंग प्रक्रिया शुरू हो जाती है और एक स्वस्थ जीवन व्यतीत करता है।
4. विभिन्न प्रकार के विषैले तत्वों के कारण ही शरीर में अल्सर कैंसर एलर्जी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। नवपाषाण के प्रयोग से इन सभी समस्याओं में व्यक्ति को राहत मिलने लगती है।

नवपाषाण को गुटिका, ब्रेसलेट, लॉकेट के रूप में धारण किया जा सकता है अथवा इस से निर्मित शिवलिंग या भगवान की मूर्ति का पूजन करके अभिषेक के जल को ग्रहण किया जा सकता है।

।। ॐ।।

अत: सस्ता पारद वस्तु न खरीद कर पूर्ण शास्त्रीय प्रणाली से निर्मित नवपाषाण से निर्मित गुटिका माला शिवलिंग विग्रह आदि एकमात्र विस्वसनीय स्थान से ही प्राप्त करें.

नवपाषाणम ब्रहमांड की दुर्लभतम वस्तुओ में से एक है । इसको धारण करने वाले जातक को तीव्र अध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होते है। नवपाषाण से विशेष प्रकार की प्रबल उर्जा तरंगे निकलती है जिसे कुछ ख़ास उपकरणों से नापा जा सकता है।
नवपाषाण का निर्माण गोरक्ष संहिता में वर्णित 9 दिव्य रत्नों को एक साथ मिलाकर पारद से सायुज्जिकरण करके दिव्य जड़ी बूटियों के रस से एकाकार कर किया जाता है।
इसमें जिन 9 दिव्य रत्नों का इस्तमाल किया जाता है वो है :-

 

1. गुलाबी स्फटिक (Pink Crytstal )
यह रत्न बहुत ही सकरात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से संपन्न है। यह हमारे स्नायु तंत्र पर बहुत ही सकारात्मक असर दिखाता है जिससे वो और ज्यादा क्रियाशील और उर्जावान हो जाता है। यह हमारे मानस को शान्ति एवं शीतलता देता है। यह परिवार में प्रेम की बढ़ोत्तरी करता है एवं तनाव को दूर करता है।

2. लाजवर्त (Lapis Lazuli )
इस रत्न में आश्चर्यजनक सकरात्मक और रक्षात्मक ऊर्जा विद्यमान है। यह पारद के साथ बद्ध होकर पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है। यह नवग्रह के दोषो को दूर करता है एवं असाध्य रोगों को भी मिटाता है। यह दिव्य रत्न हमारी चेतना को ऊपरी आयामो और दिव्य लोको से जोड़ता है। साथ ही यह विशुद्धि चक्र और तीसरे नेत्र को जागृत करता है।

3. जंगली माणिक ( Jungle Ruby )
यह रत्न सूर्य से सम्बंधित है और यह ओज, तेजस्विता और ऊर्जा प्रदान करता है। यह पारद के साथ बद्ध होकर सम्पूर्ण कार्यो में सफलता दिलाता है और इच्छापूर्ति करता है। यह मूलाधार को जागृत कर कुण्डलिनी को जागृत करता है। इसके प्रभाव से शांत मन, आत्म विश्वास एवं ध्यान प्राप्त होता है।

4. मोती (Pearl )
यह चंद्र से सम्बंधित रत्न है जिसका सम्बन्ध मन से है। यह पारद से बद्ध होकर चंचलता को दूर करके मन को शांत एवं नियंत्रित करता है। इसके धारण से मन में सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
यह आँखों एवं मस्तिष्क के सभी रोगों को दूर करता है । इससे आकर्षण शक्ति प्राप्त होती है।

5. हरिताश्म (Jade Stone )
यह रत्न जीवन में कामनाओ की पूर्ती और विघ्न बाधाओ का नाश कर भाग्य जगाता है। पारद के साथ बद्ध होकर यह धारक को कई दिव्य शक्तिया को देता है। इससे व्यक्ति के अंदर श्राप औऱ वरदान देने की शक्ति आती है। साथ ही यह समस्त तंत्र दोष को दूर करता है। यह रत्न इतर और दिव्य योनि के संपर्क करने में भी सहायक होता है और इससे आध्यात्मिक अनुभूतिया बहुत शीघ्र प्राप्त होती है। यह अनाहत चक्र को जागृत करता है और प्रेम का संचार करता है।

6. नीलपाषाण रत्न (Kyanite Clearstone )
यह रत्न मंगल ग्रह से सम्बंधित है और पारद के साथ होकर यह मंगल ग्रह के समस्त दोष समाप्त करता है। इसके धारण करने से विवाह में देरी, क्रोध, जमीन और कर्ज सम्बंधित कार्यो को सही करता है। इसके धारण करने से राजकीय सम्मान और सरकारी कार्यो में सफलता मिलती है। आध्यात्मिक रूप से यह तीसरे नेत्र को जागृत करता है और टेलीपैथी, मानसिक शक्तियो को जागृत करता है। यह शक्तिपात को करने और प्राप्त करने में दोनों रूप से सहायक है।

7. दुर्लभ हरा स्फटिक ( Green Aventurine)
यह एक दिव्य रत्न है जिसे रैकी में भी बहुतायत से उपयोग किया जाता है। यह नकरात्मक शक्तियो को सकरात्मक बनाने में विशेष रूप से प्रभावी है। इसके बारे में कहा जाता है की अगर किसी आत्महत्या करने पर उतारू किसी व्यक्ति को यह धारण करा दिया जाए तो वह आत्महत्या का विचार छोड़ देता है। पारद के साथ संयुक्त होकर इसके धारक की ऊर्जा और आभामंडल बहुत ज्यादा विस्तारित हो जाता है। यह नकरात्मक शक्तियो को दूर करता है। इससे कुण्डलिनी की ऊर्जा जागृत होती है और चक्र स्पंदित होते है। यह रत्न आत्म अनुभूति और आध्यात्मिक पथ में विशेष रूप से सहायक है।

 

8. दुर्लभ सल्फर कॉपर स्फटिक (Sulphur Stone Copper )

इस रत्न में ताम्र होता है और इस रत्न से नाभि चक्र विशेष सक्रिय हो जाता है जिससे पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त होता है। साथ ही पारद से संयुक्त होकर यह वशीकरण और टेलीपैथी शक्ति प्रदान करता है। इससे शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते है।

 

9. प्राकृतिक ताम्र सत्व ( Natural Copper)
यह एक दिव्य सत्व है क्योंकि प्राकृतिक ताम्र सत्व विशेष शक्तिया समेटे हुए होता है। यह किसी भी विष को दूर करके एक स्वस्थ शरीर प्रदान करता है। यह सभी चक्र ऊर्जाओं को जागृत करता है और इसका शरीर पर प्रभाव चमत्कारी है।

यह सभी 9 रत्न पारद के साथ मिलकर दिव्य नवपाषाणम का निर्माण करते है।
 

 

नवपाषाणम के लाभ :-

1. नवपाषाण अत्यधिक शक्तिशाली एवं उर्जात्मक है । उपरोक्त 9 रत्नों के सभी लाभ इस गुटिका में समाहित हो जाते है।

2. नवपाषाण नवग्रह के सभी दोष दूर कर पूर्ण सकरात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।

3. नवपाषाण आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है और चक्रो को स्पंदित करती है। इससे कुंडलिनी का जागरण होता है।

4. नवपाषाण गुटिका मुख में धारण करने से सभी रोगों को नाश होता है और स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है।

5. नवपाषाण धारण करने से किसी भी तंत्र मंत्र या काला जादू का प्रयोग काम नही कर पाता। यह पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान करती है।

6. नवपाषाण धारण करने से टेलीपैथी, वशीकरण, उच्च योनियों से संपर्क, स्वास्थ्य शरीर आदि स्वतः प्राप्त हो जाते है।

7. गोरक्ष संहिता के अनुसार इसके धारण करने से कुंडली के मंगल दोष, पितृ दोष , काल द्रमुक दोष , काल सर्प दोष और बहुत से दोष दूर हो जाते है।

8. नवपाषाण धारण से पूर्ण सकरात्मक ऊर्जा, तीव्र मस्तिष्क , स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है।

9. यह साधना में विशेष रूप से फलदायी है और इच्छाओं और सफलता की प्राप्ति करती है।

 

अंत मे यही कहा जा सकता है कि इसको धारण और प्राप्त करना पूर्ण सौभाग्य को जागृत कर हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना है।

नवपाषाणम के द्वारा गुटिका, माला, शिवलिंग एवं श्रीयंत्र आदि विग्रह बना कर इसको धारण अथवा स्थापन करके पूजन किया जा सकता है.

navpashanam shivling 

नवपाषाणम शिवलिंग

नवपाषाणम शिवलिंग का महत्त्व पारदेश्वर शिवलिंग की भांति होता है. अपितु पारद शिवलिंग से भी ज्यादा लाभ कोई दे सकता है तो वह है नवपाषाणम शिवलिंग. 

 navpashan mala172 gm 150px

नवपाषाणम माला
नवपाषाणम के मणकों से बनी बनी माला को धारण करने से उच्च स्तर के अध्यात्मिक एवं आयुर्वेदिक लाभ उठाये जा सकते हैं . 54 अथवा 108 मणकों की माला से जाप करने पर न केवल पारद माला के लाभ मिलते हैं अपितु नौ दिव्य प्राकृतिक रत्नों की उर्जा का लाभ भी मिलने लगता है.

 navpashan gutika 10gm s

नवपाषाणम गुटिका

नवपाषाणम गुटिका को गले या कलाई में धारण करके इसका लाभ उठाया जा सकता है.

 

navpashan gutika 20gm s  

 

नवपाषाणम  विग्रह

नवपाषाणम माला
नवपाषाण के मणकों से बनी बनी माला को धारण करने से उच्च स्तर के अध्यात्मिक एवं आयुर्वेदिक लाभ उठाये जा सकते हैं . 54 अथवा 108 मणकों की माला से जाप करने पर न केवल पारद माला के लाभ मिलते हैं अपितु नौ दिव्य प्राकृतिक रत्नों की उर्जा का लाभ भी मिलने लगता है. इस माला को गले में धारण करके ध्यान लगाने से साधक के प्रभामंडल में सकारात्मक एवं दिव्य परिवर्तन होने लगते हैं. उसके प्रभामंडल का विस्तार होने लगता है. इसके साथ ही उसकी कुंडलिनी में जागरण क्रिया प्रारंभ होने लगती है.

 

नवपाषाणम शिवलिंग

नवपाषाण शिवलिंग का महत्त्व पारदेश्वर शिवलिंग की भांति होता है. अपितु पारद शिवलिंग से भी ज्यादा लाभ कोई दे सकता है तो वह है नवपाषाण शिलिंग. नवपाषाण से निर्मित बाणलिंग या शिवलिंग को अपने निवास या व्यावसायिक स्थल पर प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित करने पर पुरे स्थल के वास्तु दोष समाप्त होने लगते हैं. उसकी निश्चित परिधि में निवास करने वाले जीवों के पाप क्षय होने लगते हैं और उसके जीवन में शुभता का विस्तार होने लगता है. शिवलिंग का विशेष अवसरों पर रुद्राभिषेक और प्रतिदिन जलाभिषेक करने वाले व्यक्ति का जन्म जन्मान्तर के प्रारब्ध के दुष्फलों का नाश होकर भाग्योदय होने लगता है. 

नवपाषाण शिवलिंग का जलाभिषेक करके उसको प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने पर व्यक्ति के सूक्ष्म शरीर, प्राण कोष में अद्भुत परिवर्तन आने लगते हैं जिससे उसके प्रभामंडल में दिव्यता उत्पन्न होने लगती है और शरीर की कोशिकाओं में विषैले तत्वों का क्षरण होकर उसको अद्भुत अध्यातिमिक एवं शारीरिक अनुकूलता प्राप्त होने लगती है और आयु का प्रभाव उसके शरीर पर धीमा हो जाता है. 

नवपाषाणम श्रीयंत्र

नवपाषाण श्रीयंत्र भी एक अद्भुत विग्रह होता है. कहा जाता है की किसी भी साधक के घर में पारद श्रीयंत्र की स्थापना होना ही उसके लिए सौभाग्य जागृत होने के लक्षण होते हैं. और उससे भी बढ़ कर यदि नवपाषाण श्री यन्त्र की स्थापना हो जाये तो सोने पर सुहागा. पारद के साथ अद्भत प्राकृतिक तत्वों का संयोजन साधक को न केवल श्री यन्त्र पूजन से केद्रित होने वाली दिव्य उर्जा का लाभ दिलाता है अपितु उनके साथ उर्जावान दिव्य रत्नों का भी लाभ मिलने लगता है. इस पर तंत्र क्षेत्र की सभी प्रकार की साधनाएं की जा सकती हैं और अगर भूलवश कोई त्रुटी हो जाये नवपाषाण श्रीयंत्र उस त्रुटी के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली नकारात्मक उर्जा जो उसी क्षण अवशोषित करके साधक की रक्षा कर लेता है.

  

==> नवपाषाण गुटिका / माला प्राप्त करने हेतु संपर्क करें 
(नवपाषाण का निर्माण पूर्णरुपेन शास्त्रसम्मत विधि द्वारा किया जाता है. अत: इसके निर्माण प्रक्रिया में लगभग एक माह का समय लगता है.)