स्वागतम्
"मानवता की सेवा ही मोक्ष प्राप्ति का प्रथम सोपान है"
- पूज्य सदगुरुदेव
हमारा उद्देश्य :
यथासंभव प्रयास करना ताकि एक सुसंस्कृत, विचारवान व खुशहाल समाज का निर्माण हो सके. समाज का प्रत्येक मनुष्य अपने चरित्र का निर्माण स्वयम कर सके. उसे प्रकृति से अपनी अभिन्नता सदैव याद रहे ताकि अपने अलावा प्रकृति के प्रत्येक प्राणी व वनस्पति को सम्मान दे और किसी भी प्रकार प्रकृति का शोषण न करे.
मानव जीवन अनेक उतार-चढ़ावों से भरपूर होता है. सुख-दुःख के ये पल व्यक्ति को कभी भौतिकता के नजदीक ले जाते हैं और कभी आध्यत्मिक बना देते हैं.
परन्तु मानव नही समझ पाता की जिस प्रकार एक माँ अपने बच्चे को सदैव अपने ह्रदय के समीप पाती है और उसका ध्यान रखती है उसी प्रकार ईश्वर भी अपनी ही रचना मानवों का सदैव ध्यान रखते हैं. परन्तु ईश्वर ने मानव को विवेक रूपी शक्ति देकर उसे अन्य प्राणियों से अलग बनाया है. विवेक मनुष्य को सही गलत का निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है. अन्य प्राणियों से इसी अंतर के कारण मानव को कर्मों का फल भी भोगना होता है. जिसे कालांतर में हम भाग्य का भी नाम देते हैं.
मानव जीवन के मुख्य भाग जिनमे विभिन्न कारणों से विषमताओं का सामना करना पड़ता है:
स्वास्थ्य लंबी बीमारी बार बार बीमारी आकस्मिक व अज्ञात बीमारी नजर बाधा |
आर्थिक ज्यादा खर्च धनागमन बाधा रोजगार अस्थिरता कर्जे धन डूबना / फंसना |
मानसिक गृह कलेश मान-प्रतिष्ठा हानि प्रेम सम्बन्ध इतर सम्बन्ध सम्बन्धियों से क्लेश धोखा व्यापर में हानि किसी इष्ट का चरित्र व्यसन |
कारण :
1. ग्रह बाधा
2. इतर योनी बाधा
3. टोना–टोटका या तंत्र बाधा
4. वास्तु दोष
5. पितृ दोष
हमारा उद्देश्य है की आप प्राचीन भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग वेदों, पुराणों व अन्य तंत्र ग्रंथों में वर्णित एवं ऋषियों तथा मनीषियों द्वारा अपने जीवन की इन परेशानियों को मूल से समाप्त करके सर्वप्रथम अपने जीवन को सुखी-समृद्ध बनायें. क्योंकि एक संतुष्ट व्यक्ति से ही आशा की जा सकती है की वो आत्मतुष्टि को त्याग कर समाज के दुर्बल-असहाय व्यक्तियों के दुःख को समाप्त करने में, प्रकृति का शोषण रोकने में, मानव इतर जीवों के कष्ट दूर करने में सहयोग देगा.
आपसे आशा की जाती है की यदि हमारे सहयोग से आप अपने कष्ट से मुक्ति पाते हैं तो आप अन्य व्यक्तियों, जीवों व प्रकृति के प्रति प्रेम व सहयोग भाव से उनके कष्टों का निवारण करने हेतु प्रयास करेंगे.. धन्यवाद