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अक्षय तृतीया

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अक्षय तृतीया

वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है. इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं. इसलिए दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय हो जाता है. अक्षय का अर्थ होता है- जिसका क्षय न हो. इसलिए माना जाता है कि इस तिथि को किए गए कार्यों के परिणाम का क्षय नहीं होता है. माना जाता है इसी दिन भगवान परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव का अवतार हुआ था.

इसी दिन से बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं और और केवल इसी दिन वृन्दावन में भगवान बांके-बिहारी जी के चरणों का दर्शन होते हैं. इस दिन मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी की जाती है और तमाम चीजों का दान किया जाता है. इससे धन की प्राप्ति और दान का पुण्य अक्षय बना रहता है. यह वर्ष का स्वयंसिद्ध मुहूर्त है. इस दिन बिना किसी शुभ मुहूर्त के कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है. इस वर्ष अक्षय तृतीया 14 मई को होगी.

 पूजन विधि: 

  प्रातः काल घर में शीतल जल से स्नान करें. इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें सफेद फूल अर्पित करें. भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. इसके बाद कुछ दान का संकल्प करें.

अक्षय तृतीया पर क्या करना विशेष शुभ होता है? इस दिन ऐसे कार्य करें जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति हो? इस दिन पूजा उपासना ध्यान जरूर करें. अपने व्यवहार को मधुर बनाये रखें. सम्भव हो तो किसी व्यक्ति की सहायता करें. इस दिन कुछ न कुछ दान जरूर करें. लोगों को जल पिलाएं या पौधों में जल डालें.

अक्षय तृतीया के दिन धन प्राप्ति के लिए क्या करें? मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प अर्पित करें. उन्हें एक स्फटिक की माला अर्पित करें. उसी माला से कम से कम 108 बार विशेष मंत्र का जाप करें. मंत्र -

 ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः. 

 इस माला को अपने गले में धारण कर लें.

 

अक्षय तृतीया तिथि पर शुभ मुहूर्त:

 अक्षय तृतीया पर पूजा का मुहूर्त शुक्रवार, 14 मई को सुबह 05 बजकर 38 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा.