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जन्माष्टमी

जन्‍माष्‍टमी की हार्दिक शुभकामनायें 

krishna

हिन्‍दू मान्‍यता के अनुसार श्रीकृष्‍ण का जन्‍म भादो माह की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.

 

अष्टमी रात्रि 8.47 से प्रारंभ होकर 3 सितंबर को शाम 5.20 तक। उसके बाद नवमी।

रोहिणी नक्षत्र दो सितंबर को 8.48 बजे से प्रारम्भ होकर 3 सितंबर को रात्रि 8.04 तक।

निशीथ काल- दो सितंबर को रात्रि 11.57 से 12.48 तक।

 

हालांकि वैष्‍णव सम्‍प्रदाय को मानने वाले 3 सितंबर को व्रत रखेंगे और अगले दिन यानी कि 4 सितंबर को सुबह सूर्योदय से पहले 6:13 मिनट पर व्रत का पारण करेंगे।

 

 

 

व्रत विधि 

- जो भक्‍त जन्‍माष्‍टमी का व्रत रखना चाहते हैं उन्‍हें एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए।

- जन्‍माष्‍टमी के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद व्रत का संकल्‍प लें।

- इसके बाद माता देवकी के लिए सूतिका गृह बनाएं।

- इस सूतिका गृह में माता देवकी समेत बाल गोपाल की मूर्ति स्थापित करें और पूजा करें।

- सारा दिन उपवास रखें। इस व्रत में आप दिन में पानी, फल और दूध ले सकते हैं।

- इसके बाद आ‍धी रात को विधिपूर्वक पूजा करें।

 

श्रीकृष्ण जी की आरती 

ॐ जय श्री कृष्ण हरे प्रभु जय श्री कृष्ण हरे
भक्तन के दुःख सारे पल में दूर करे || ॐ जय ||

परमानन्द मुरारी मोहन गिरधारी
जय रस रास बिहारी जय जय गिरधारी || ॐ जय ||

कर कंकन कोटि सोहत कानन में बाला
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे बनमाला || ॐ जय ||

दीन सुधामा तारे दरिद्रों के दुःख टारे
गज के फंद छुड़ाऐ भव सागर तारे || ॐ जय ||

हिरन्यकश्यप संहारे नरहरि रूप धरे
पाहन से प्रभु प्रगटे जम के बीच परे || ॐ जय ||

केशी कंस विदारे नल कूबर तारे
दामोदर छवि सुन्दर भगतन के प्यारे || ॐ जय ||

काली नाग नथैया नटवर छवि सोहे
फन-फन नाचा करते नागन मन मोहे || ॐ जय ||


राज्य उग्रसेन पाए माता शोक हरे
द्रुपद सुता पत राखी करुणा लाज भरे || ॐ जय ||