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नवपाषाण Shop
नवपाषाण
नवपाषाण: सिद्ध परंपरा का एक अद्भुत औषधीय पदार्थ
नवपाषाण को गुटिका, ब्रेसलेट, लॉकेट के रूप में धारण किया जा सकता है अथवा इस से निर्मित शिवलिंग या भगवान की मूर्ति का पूजन करके अभिषेक के जल को ग्रहण किया जा सकता है।
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अत: सस्ता पारद वस्तु न खरीद कर पूर्ण शास्त्रीय प्रणाली से निर्मित नवपाषाण से निर्मित गुटिका माला शिवलिंग विग्रह आदि एकमात्र विस्वसनीय स्थान से ही प्राप्त करें.
Navpashanam Lingam 21 gm ( Height - 18 mm) + White Quartz Vedi |
Navpashanam Lingam 51 gm (Height - 26 mm ) + White Quartz Vedi |
नवपाषाण शिवलिंग |
नवपाषाण शिवलिंग Navpashanam Shivling 51 gm INR 24,250 /- |
अष्ट-संस्कारित पारद Shop
अष्ट-संस्कारित पारद
अगर पारद अष्ट-संस्कारित (सिद्ध) हो तो प्राप्त होने वाले लाभ की तुलना नहीं की जा सकती है। संस्कारित पारद दर्शन, धारण एवं पूजन के लिये महा कल्याणकारी माना गया है. इसी प्रकार संस्कारित पारद से बनी अन्य वस्तुएं जैसे की पारद शिवलिंग, पारद शंख, पारद श्रीयंत्र, इत्यादि के उपयोग से जीवन में इच्छित फलो की प्राप्ती संभव होती हैं।।
स्कंद पुराण, रस रत्नाकर, निघंटु प्रकाश, शिवनिर्णय रत्नाकर आदि प्राचीन भारतीय ग्रंथ के अनुसार पारद निर्मित शिवलिंग, पारद शंख, पारद श्रीयंत्र, पारद गुटिका, पारद पेंडेंट, पारद पिरामिड, पारद लक्ष्मी गणेश, पारद पात्र,पारद मुद्रिक इत्यादि के उपयोग से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं।
अत: सस्ता पारद वस्तु न खरीद कर पूर्ण शास्त्रीय प्रणाली से निर्मित अष्ट संस्कारित पारद से निर्मित गुटिका माला शिवलिंग विग्रह आदि एकमात्र विस्वसनीय स्थान से ही प्राप्त करें.
Parad Lingam 21 gm ( Height - 18 mm) + White Quartz Vedi |
Parad Lingam 51 gm (Height - 26 mm ) + White Quartz Vedi |
पारद शिवलिंग |
पारद शिवलिंग Parad Shivling 51 gm INR 5400 /- |
अष्ट-संस्कारित पारद
अष्ट-संस्कारित पारद
शताश्वमेधेन कृतेन पुण्यं गोकोटिभिरू स्वर्णसहस्रदानात ।
नृणां भवेत् सूतकदर्शनेन यत्सर्वतीर्थेषु कृताभिषेकात् ।।
(रसचण्डाशुः)
अर्थात : सौ अश्वमेध यज्ञ करने के बाद, एक करोड़ गाय दान देने के बाद या स्वर्ण की एक हजार मुद्राएँ दान देने के पश्चात् तथा सभी तीर्थों के जल से अभिषेक (स्नान) करने के फलस्वरूप जो जो पुण्य प्राप्त होता है, वही पुण्य केवल पारद के दर्शन मात्र से होता है।
अगर पारद अष्ट-संस्कारित (सिद्ध) हो तो प्राप्त होने वाले लाभ की तुलना नहीं की जा सकती है। संस्कारित पारद दर्शन, धारण एवं पूजन के लिये महा कल्याणकारी माना गया है. इसी प्रकार संस्कारित पारद से बनी अन्य वस्तुएं जैसे की पारद शिवलिंग, पारद शंख, पारद श्रीयंत्र, इत्यादि के उपयोग से जीवन में इच्छित फलो की प्राप्ती संभव होती हैं।।
अष्टधातु
अष्टधातु, (शाब्दिक अर्थ = आठ धातुएँ) एक मिश्रधातु है जो हिन्दू और जैन प्रतिमाओं के निर्माण में प्रयुक्त होती है। जिन आठ धातुओं से मिलकर यह बनती है, वे ये हैं- सोना, चाँदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा (रस) की गणना की जाती है। एक प्राचीन ग्रन्थ में इनका निर्देश इस प्रकार किया गया है:
स्वर्ण रूप्यं ताम्रं च रंग यशदमेव च।
शीसं लौहं रसश्चेति धातवोऽष्टौ प्रकीर्तिता:।
सुश्रुतसंहिता में केवल प्रथम सात धातुओं का ही निर्देश देखकर आपातत: प्रतीत होता है कि सुश्रुत पारा (पारद, रस) को धातु मानने के पक्ष में नहीं हैं, पर यह कल्पना ठीक नहीं। उन्होंने अन्यत्र रस को भी धातु माना है (ततो रस इति प्रोक्त: स च धातुरपि स्मृत:)। अष्टधातु का उपयोग प्रतिमा के निर्माण के लिए भी किया जाता था।
ज्योतिष और अष्टधातु का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर धातु में निहित ऊर्जा होती है, धातु अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किये जाएं तो इनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है अन्यथा धातु विपरीत प्रभाव भी देता हैं | अष्टधातु हिन्दुओं के लिए एक अत्यंत शुभ धातु है। प्राचीन काल से ही अष्टधातु का उपयोग प्रतिमा निर्माण में भी होता रहा है। अष्टधातु का उपयोग प्रतिमा के निर्माण के लिए भी किया जाता था | इसके अलावा अष्टधातु का प्रयोग रत्न को धारण करने के लिए भी होता था | यदि आपकी कुंडली में राहु अशुभ स्थिति में हो तो विशेष कष्टदायक होता है उसमे भी राहु की महादशा और अंतर्दशा में अत्यन्त ही कष्टकारक दुष्प्रभाव दे सकता है | ऐसी स्थिति में दाहिने हाथ में अष्टधातु का कड़ा धारण करने से अवश्य ही लाभ प्राप्त होता है साथ ही किसी योग्य ज्योतिष के परामर्श से राहु का जप और दान भी कर सकते है | यह उपाय अवश्य ही राहत प्रदान करता है।
अष्टधातु पहनने के फायदे
अष्टधातु का मुनष्य के स्वास्थ्य से गहरा सम्बंध है यह हृदय को भी बल देता है एवं मनुष्य की अनेक प्रकार की बीमारियों को निवारण करता है |
अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा धारण करने पर यह मानसिक तनाव को दूर कर मन में शान्ति लाता है। यहीं नहीं यह वात पित्त कफ का इस प्रकार सामंजस्य करता हैं कि बीमारियां कम एवं स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव होता है |
अष्टधातु मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव डालता है | अष्टधातु पहनने से व्यक्ति में तीव्र एवं सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है। धीरे-धीरे सम्पन्नता में वृद्धि होती है |
व्यापार के विकास और भाग्य जगाने के लिए शुभ मुहूर्त में अष्टधातु की अंगूठी या लॉकेट में लाजवर्त धारण करें। यह एक बहुत प्रभावशाली उपाय है, सोया भाग्य जगा देता है |
यदि आप अष्टधातु से बनी कोई भी चीज पहनते हैं तो आप सभी नौ ग्रहो से होने वाली पीड़ा को शांत कर सकते हैं और हाँ ये जरूरी नहीं की आप अष्टधातु से बनी से कोई चीज पहने ही आप अपने घर या ऑफिस में रखते हो तो भी इन नौ ग्रहो से होने वाली पीड़ा को शांत करता है |
अष्टधातु एक बहुत ही बहुमूल्य धातु है और वास्तविक अष्टधातु निर्माण में काफी समय लगता है| इसे प्राप्त करने के लिए तुरंत संपर्क करें|
नवपाषाणम
नवपाषाणम
1. गुलाबी स्फटिक Pink Crytstal 2. Lapis Lazuli /लाजवर्त इस रत्न में आश्चर्यजनक सकरात्मक और रक्षात्मक ऊर्जा विद्यमान है। यह पारद के साथ बद्ध होकर पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है। यह नवग्रह के दोषो को दूर करता है एवं असाध्य रोगों को भी मिटाता है। 3. Jungle Ruby / जंगली माणिक यह रत्न सूर्य से सम्बंधित है और यह ओज, तेजस्विता और ऊर्जा प्रदान करता है। यह पारद के साथ बद्ध होकर सम्पूर्ण कार्यो में सफलता दिलाता है और इच्छापूर्ति करता है। यह मूलाधार को जागृत कर कुण्डलिनी को जागृत करता है। इसके प्रभाव से शांत मन, आत्म विश्वास एवं ध्यान प्राप्त होता है। 4. Pearl / मोती यह चंद्र से सम्बंधित रत्न है जिसका सम्बन्ध मन से है। यह पारद से बद्ध होकर चंचलता को दूर करके मन को शांत एवं नियंत्रित करता है। इसके धारण से मन में सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है। 5. Jade Stone / हरिताश्म 6. Kyanite clearstone / नीलपाषाण रत्न 7. Green Aventurine/ दुर्लभ हरा स्फटिक 8. Sulphur stone copper / दुर्लभ सल्फर कॉपर स्फटिक 9. प्राकृतिक ताम्र सत्व यह सभी 9 रत्न पारद के साथ मिलकर दिव्य नवपाषाण का निर्माण करते है। नवपाषाणम के लाभ :- अंत मे यही कहा जा सकता है कि इसको धारण और प्राप्त करना पूर्ण सौभाग्य को जागृत कर हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना है। नवपाषाणम के द्वारा गुटिका, माला, शिवलिंग एवं श्रीयंत्र आदि विग्रह बना कर इसको धारण अथवा स्थापन करके पूजन किया जा सकता है. |
नवपाषाणम गुटिका | नवपाषाण गुटिका को गले या कलाई में धारण करके इसका लाभ उठाया जा सकता है. |
उपलब्धता
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नवपाषाणम माला | नवपाषाण के मणकों से बनी बनी माला को धारण करने से उच्च स्तर के अध्यात्मिक एवं आयुर्वेदिक लाभ उठाये जा सकते हैं . 54 अथवा 108 मणकों की माला से जाप करने पर न केवल पारद माला के लाभ मिलते हैं अपितु नौ दिव्य प्राकृतिक रत्नों की उर्जा का लाभ भी मिलने लगता है. इस माला को गले में धारण करके ध्यान लगाने से साधक के प्रभामंडल में सकारात्मक एवं दिव्य परिवर्तन होने लगते हैं. उसके प्रभामंडल का विस्तार होने लगता है. इसके साथ ही उसकी कुंडलिनी में जागरण क्रिया प्रारंभ होने लगती है. |
उपलब्धता |
नवपाषाणम शिवलिंग |
नवपाषाण शिवलिंग का महत्त्व पारदेश्वर शिवलिंग की भांति होता है. अपितु पारद शिवलिंग से भी ज्यादा लाभ कोई दे सकता है तो वह है नवपाषाण शिलिंग. नवपाषाण से निर्मित बाणलिंग या शिवलिंग को अपने निवास या व्यावसायिक स्थल पर प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित करने पर पुरे स्थल के वास्तु दोष समाप्त होने लगते हैं. उसकी निश्चित परिधि में निवास करने वाले जीवों के पाप क्षय होने लगते हैं और उसके जीवन में शुभता का विस्तार होने लगता है. शिवलिंग का विशेष अवसरों पर रुद्राभिषेक और प्रतिदिन जलाभिषेक करने वाले व्यक्ति का जन्म जन्मान्तर के प्रारब्ध के दुष्फलों का नाश होकर भाग्योदय होने लगता है. नवपाषाण श्विलिंग का जलाभिषेक करके उसको प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने पर व्यक्ति के सूक्ष्म शरीर, प्राण कोष में अद्भुत परिवर्तन आने लगते हैं जिससे उसके प्रभामंडल में दिव्यता उत्पन्न होने लगती है और शरीर की कोशिकाओं में विषैले तत्वों का क्षरण होकर उसको अद्भुत अध्यातिमिक एवं शारीरिक अनुकूलता प्राप्त होने लगती है और आयु का प्रभाव उसके शरीर पर धीमा हो जाता है. |
उपलब्धता |
नवपाषाणम श्रीयंत्र |
नवपाषाण श्रीयंत्र भी एक अद्भुत विग्रह होता है. कहा जाता है की किसी भी साधक के घर में पारद श्रीयंत्र की स्थापना होना ही उसके लिए सौभाग्य जागृत होने के लक्षण होते हैं. और उससे भी बढ़ कर यदि नवपाषाण श्री यन्त्र की स्थापना हो जाये तो सोने पर सुहागा. पारद के साथ अद्भत प्राकृतिक तत्वों का संयोजन साधक को न केवल श्री यन्त्र पूजन से केद्रित होने वाली दिव्य उर्जा का लाभ दिलाता है अपितु उनके साथ उर्जावान दिव्य रत्नों का भी लाभ मिलने लगता है. इस पर तंत्र क्षेत्र की सभी प्रकार की साधनाएं की जा सकती हैं और अगर भूलवश कोई त्रुटी हो जाये नवपाषाण श्रीयंत्र उस त्रुटी के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली नकारात्मक उर्जा जो उसी क्षण अवशोषित करके साधक की रक्षा कर लेता है. |
उपलब्धता |