शिवशक्ति ज्योतिष एवं पराविज्ञान शोध सेवा केंद्र
दैनिक पंचांग व राशिफल
*📜 दैनिक पंचांग व राशिफल 📜*
स्वागतम्
"मानवता की सेवा ही मोक्ष प्राप्ति का प्रथम सोपान है"
- पूज्य सदगुरुदेव
हमारा उद्देश्य :
यथासंभव प्रयास करना ताकि एक सुसंस्कृत, विचारवान व खुशहाल समाज का निर्माण हो सके. समाज का प्रत्येक मनुष्य अपने चरित्र का निर्माण स्वयम कर सके. उसे प्रकृति से अपनी अभिन्नता सदैव याद रहे ताकि अपने अलावा प्रकृति के प्रत्येक प्राणी व वनस्पति को सम्मान दे और किसी भी प्रकार प्रकृति का शोषण न करे.
मानव जीवन अनेक उतार-चढ़ावों से भरपूर होता है. सुख-दुःख के ये पल व्यक्ति को कभी भौतिकता के नजदीक ले जाते हैं और कभी आध्यत्मिक बना देते हैं.
अनुष्ठान
वैदिक और तंत्रोक्त अनुष्ठान
पूजा, अर्चना, मंत्र जाप के अतिरिक्त वैदिक परम्परा में विभिन्न प्रकार के देवी देवताओं और शक्तियों की विभिन्न वैदिक और तंत्रोक्त विधि के अनुसार अनुष्ठान करने के भी निर्देश दिए गये हैं. इन अनुष्ठानों के द्वारा इच्छित शक्तियों की कृपा ज्यादा तीव्रता से पाई जा सकती है. इस हेतु विभिन्न शुभ मुहूर्तों पर जातक द्वारा स्वयं या अपने ज्योतिषियों के सुझाव पर योग्य आचार्यों से विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करवाते हैं जिनसे उनकी जन्मकुंडली अथवा गोचर के दोषों अथवा अन्य किसी प्रकार की बाधा का निवारण होता है एवं शुभ फलों की प्राप्ति तथा उन्हें कुछ विशिष्ट प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
मुहूर्त के अनुसार ये अनुष्ठान किसी भी मंदिर, विशिष्ट धर्म क्षेत्र जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, गया, वाराणसी, उज्जैन, नैमिषशारण्य अथवा किसी पवित्र नदी के तट पर किये जा सकते है. ऐसे विशिष्ट धार्मिक स्थानों पर अनुष्ठान को करने से सफलता का प्रतिशत और इसके फल सैकड़ों गुना अधिक हो जाते हैं।
किसी भी प्रकार की अनुष्ठान को विधिवत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है उस अनुष्ठान के लिए निश्चित किये गए मंत्र का एक निश्चित संख्या में जाप करना तथा यह संख्या अधिकतर अनुष्ठानों के लिए 1,25,000 मंत्र होती है।
जातक यदि स्वयं चाहे तो ये अनुष्ठान कर सकता है. किन्तु सामान्यतया दैनिक क्रिया कलापों में व्यस्त रहने और दैनिक जीवन में निर्वाह हेतु किये जाने वाले कर्मो के दोषों के कारण उसकी सफलता दुष्कर हो जाती है.
सिद्ध महायंत्र
सिद्ध महाकाली महायंत्र
1. अचानक और बार बार बीमार पड़ जाना.
2. नौकरी और व्यवसाय में अचानक समस्याएँ उत्पन्न हो जाना.
3. इष्ट, मित्र, रिश्तेदार या व्यावसायिक संबंधो में अचानक से दरार उत्पन्न होना.
4. खर्चे इतने ज्यादा बढ़ जाना की आय बहुत कम दिखने लगे और जमा पूंजी भी निकल जाना.
क्या आप अपने जीवन में कुछ ऐसा अनुभव कर रहे हैं.
तो किस प्रकार इससे मुक्ति मिले ...
कलियुग की एक विशेषता है: व्यक्ति अपने दुःख से दुखी कम है, दुसरे के सुख से ज्यादा दुखी है.
और आपको पता भी नही होता की कब कोई व्यक्ति आपके विरुद्ध इतना इर्ष्या अपने मन में उत्पन्न कर ले की जाने अनजाने आपके पतन की दुआ करने लगे. पता नही कब इतना व्यथित हो जाये की आगे बढ़कर किसी तांत्रिक क्रिया को आपके नाश के लिए प्रयोग कर दे. और इधर आप परेशान की अचानक से जीवन में मुसीबतों को बादल कैसे छा गये. क्यों रोजगार, स्वास्थ्य, संबंधों की स्तिथि बिगड़ने लगी. खर्चा इतना बढ़ गया की दुगनी आय भी कम पड़ जाये. धीरे समस्या आर्थिक, मानसिक रूप से बिलकुल निम्न स्तर तक पहुंचा देती है.
कहावत है “इलाज से परहेज बेहतर”